Ayurvedic knowledge unsustainable velocity (अधारणीय वेग)
अधारणीय वेग( (वे वेग जो कभी नहीं रोकना चाहिए)
१३ प्रकार के वेग किसी न किसी शरीर क्रिया से संम्बन्धित है जो स्वभाविक होते हैं। उन्हें यदि रोका जाता हैं तो अनेको व्याधियाँ उत्पन्न हो जाती है। जिन्हें बुद्धिमान व्यक्ति कभी नहीं रोकते है।
•>मूत्र रोकने से होने वाले रोग मूत्र कृच्छ, पेशाब में जलन, पेडू में दर्द, शिर में वेदना।
•>पुरीष (मल) वेग को रोकने से होने वाले रोग सिर में दर्द, कोष्ठ वद्धता, आध् मान, उदरशूल।
•>शुक्रवेग को रोकने से होने वाले रोग वृषण में दर्द, अंगमर्द, हृदय में वेदना, मूत्र का रूक-रूक कर आना।
•>अपान वायु के वेग को रोकने से होने वाले रोग वात व्याधियाँ, कब्ज, उदर शूल, थकान, आध्मान।
•>वमन का वेग को रोकने से होने वाले रोग कण्डू, भोजन में अरूचि, पाण्डू, ज्वर, चर्म विकार।
•>छींक का वेग रोकने से होने वाले रोग शिरःशूल, जीर्ण, प्रतिश्याय, अर्दित।
•>डकार के वेग को रोकने से होने वाले रोग हृदय और छाती में जकड़ाहट। हिचकी, श्वास, भोजन में अरूचि
•>जम्हाई के वेग को रोकने से होने वाले रोग आक्षेप, शून्यता, शरीर तथा हाँथ पैरो में कम्प, उर्ध्वजत्रगुत रोग।
•>क्षुधा (भूख) वेग के धारण करने से होने वाले रोग कृशता, दुर्बलता, अंगो में वेदना, अरुचि, चक्कर आना।
•>प्यास वेग के रोकने से होने वाले रोग कण्ठ और मुख सूखना, बहिरापन, थकावट, अवसाद और हृदय में दर्द।
•>आँसू वेग रोकने से होने वाले रोग चक्कर, शिरःशूल। प्रतिश्याय, नेत्ररोग, हृदय के रोग, अरूचि,
•>निद्रावेग को रोकने से होने वाले रोग जम्हाई, अंगो का टूटना, मानसिक रोग, नेत्र रोग, पेट के रोग।
•>परिश्रम करने से उत्पन्न श्वास के वेगों को रोकने से होने वाले रोग गुल्म, हृदय रोग, मूर्च्छारोग।
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