Dengue fever
दो चार बहुत अच्छी बातें जो डेंगू रोग निवारण के परिपेक्ष्य में पाया गया है
share करना चाहता हूँ
डेंगू का treatment और platelets count क्या ये दोनों अलग-अलग बात है ? या एक ही है ?
Allopathy के लिए ये बिल्कुल अलग-अलग विषय है
हमारे लिए भी अलग हो सकते है
लेकिन आयुर्वेद में ये अलग-अलग विषय बिल्कुल नहीं है
जेसा हम सभी जानते है
सामान्यतः रक्त धातु का मल "पित्त" है
ज्वर में "पित्त" ही मुख्य कारक है
षड् रस के aspect में देंखे तो पित्त अम्ल, लवण व कटु रस से बढता है और मधुर, तिक्त कषाय से balance होता है
हमें मल को नहीं बढने देना है
ज्यादा मल उत्पन्न होगा तो उत्तरोतर धातु और समकक्ष धातु दोनों में गिरावट आएगी
मतलब पित्त को नहीं बढने देना है
मतलब अम्ल लवण कटु रसो से परहेज रखना है
इसलिए यदि डेंगू में platelets count को बढ़ाना है तो मधुर तिक्त कषाय रस ही हमें प्रयोग करने है
अब चाहे फिर वो पपीता हो
करेला हो
मुलेठी हो
वासा हो
चाहे सभी पित्त शामक रस औषधियाँ हो...(कामदुधा, चंद्रकला,वो सब platelets count पहले दिन से ही बढ़ाएगी
मतलब युक्ति पूर्वक रसों को ध्यान में रखकर चिकित्सा करनी है
अब आप पूछेंगे ,
पहले दिन से ही क्यों बढाएगी.?
एक दिन में इसलिए बढाएगी क्यूंकि रस धातु के बाद दुसरे स्थान पर ही रक्त का स्थान होता है..इसलिए ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा
किसी और धातु की बात होती तो शायद ज्यादा वक़्त लगता..
इसलिए हमें सिर्फ षड् रस और पित्तशामक concept ध्यान में रहे..platelets तुरंत बढ़ेंगे..क्योंकि हम आयुर्वेद के विद्वान पित्त, ज्वर , रक्त विकार को अपने concept से connected मानते है
इसलिए भादो महीने में कुटकी चिरायता के सेवन का विधान आयुर्वेद में बताया है
क्यूंकि आने वाले दोनों महीनो में पीलिया और डेंगू के रोगी ही सामने आने वाले है
और कमाल की बात है दोनों ही विकारो में रक्त टूट कर ही कम होता है...ओर ये सब इसलिए की वर्षा ऋतु में "पित्त" का संचय होता है....ये है कमाल का Ayurved connection ��
जय आयुर्वेद�
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