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Knowledge of Ayurveda

*हड्डियों में चुभने वाली और कंपकंपी पैदा करने वाली ठंड पड़ना शुरू हो चुकी है...* *ये 10 गुणकारी चीजें आपकी ठंड में गर्म रखेंगी और आपके भीतर पैदा करेगी जबरदस्त रोग प्रतिरोधक क्षमता....* *(1). हल्दी -* सर्दी से बचने के लिए यह भी औषधी के रूप में प्रयोग की जाती है। आप हल्दी का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा कीजिए और शरीर में गर्माहट बनाए रखिए। यह एंटीबायोटिक का काम भी करेगी। *(2). लहसुन -* लहसुन एक बेहतरीन एंटीबायोटिक होने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम में प्रयुक्त होने वाली औषधी भी है। ठंड के दिनों में लहसुन की चटनी, सब्जी बनाई जा सकती है। इसके अलावा आप इसे रोटी के साथ कच्चा या फ्राय करके भी खा सकते हैं। *(3). मेथी -* मेथी दाने से बनाए जाने वाले लड्डुओं का सेवन खास तौर पर ठंड में किया जाता है। यह शरीर में गर्माहट बनाए रखने में मददगार है। मेथी की सब्जी का भी ज्यादा से ज्यादा सेवन करना इन दिनों में फायदेमंद होगा। *(4). सूखे मेवे -* सूखे मेवों का सेवन करना भी ठंड से बचाव के लिए बेहद मददगार साबित होगा। अगर इन्हें गुड़ और घी के साथ मिक्स करके लड्डू बनाकर सेवन करेंगे तो यह और भी सेहतमंद हो जाएंगे। *(...

Knowledge of Ayurveda।।

सरसो का तेल:-Mustard oil:- > सरसों का तेल खाने के लिए उत्तम है,आयुर्वेद में सरसों के तेल कों तिल के तेल के समान ही उत्तम माना जाता है >सरसों के तेल में कोलैस्ट्राल का स्तर कम होने के कारण ह्रदय रोगों में भी यह लाभदायक बताया जाता है >हाथों की खुश्की- हाथों में खुशकी और खुदरापन होने की स्थिति में सरसों के तेल से हल्की मालिश करें , त्वचा मुलायम हो जाएगी > शरीर दर्द और थकान- शीत मौस्म में धूप में बैठकर सभी उम्र के लोगों को तेल की मालिश करनी चाहिए | शिशुओ को धूप में लिटाकर इस तेल से मालिश करने से उनकी थकान दूर होती है , नींद अच्छी आती है, तथा शरीर के दर्द से राहत मिलती है सरसों का तेल वातनाशक और गर्म होता है । इसी कारण शीतकाल में वातजन्य दर्द को दूर करने के लिए इस तेल की मालिश की जानी चाहिए । जोडों का दर्द , मांसपेशियों का दर्द , गठिया , छाती का दर्द, ब्रोंकाइटिस आदि की पीड़ा भी सरसों के तेल से दूर हो जाती है । >उबटन- बेसन में सरसों का तेल मिलाकर उबटन की तरह त्वचा पर मलने से त्वचा गोरी हो जाती है तथा उसमें कमल के समान ताजगी आ जाती है । ...

Ayurvedic knowledge food and digestion

ayurvedic knowledge and solutions खाना खाने के बाद पेट मे खाना पचेगा या खाना सड़ेगा ये जानना बहुत जरुरी है ... हमने रोटी खाई,हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी , दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|, ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है | पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय" उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"| उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है " epigastrium "| ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है | हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है| आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्न"। |ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है । ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी | यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँ...

Knowledge of Ayurveda... chest pain

सीने में दर्द के लिए उपाय:- •ऐसी चीजें न खाए जो एसिड को बढ़ाती हो •सीने में दर्द हमेशा हार्ट अटैक का मामला नहीं होता, सीने या छाती में दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं, एसीडिटी, सर्दी, कफ, तनाव, गैस, बदहजमी और धूम्रपान से भी छाती में दर्द होती है। •वैसे जब कभी भी छाती में दर्द हो तो तत्काल ड़ॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ,ताकि हार्ट अटैक की शंका को दूर किया जा सके। ,हार्ट अटैक में छाती की दर्द को एंजाइना कहते हैं जो कोरोनरी आर्टरी में रक्त के प्रवाह की प्रक्रिया बाधित होने या बलगम की वजह से उत्पन्न अवरोध के कारण होता है इसलिये छाती के दर्द को कभी भी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए भले ही वह गैस या एसिडिटी का दर्द ही क्यों न हो, अगर आप यह पता लगा लेते हैं कि दर्द हार्ट अटैक की नहीं बल्कि अन्य वजह से है तो इसके घरेलू इलाज आप कर सकते हैं। •लहसुन (Garlic)- लहसुन को वंडर मेडिसीन कहा गया है जो हर तरह की बिमारियों में रामबाण का काम करता है। सेहत के लिए तो रामबाण है ही हार्ट के लिए तो सबसे ज्यादा लाभकारी है। लहसुन में कई तरह के विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, थियामिन, र...

Knowledge of Ayurveda

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बीमारियों का किलर, स्ट्रांग इम्युनिटी: 💚रोजाना एक सेब डॉक्टर से दूर यानी रोगों से दूर रखता है। यह बात सौ फीसदी सच है, लेकिन इसके अलावा भी कुछ खास पौष्टिक तत्व हैं, जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। अगर आप चाहती हैं, कि आपका इम्यून सिस्टम दुरुस्त रहे तो रोज आपकी प्लेट रंगीन फलों और सब्जियों से भरी होनी चाहिए। 💛दही अगर आप अभी तक दही सि़र्फ लस्सी से जोड़कर देखती हैं और इसे केवल स्वाद के लिए खाती हैं तो अब नियमित रूप से खाना शुरू कर दें। दही में चमत्कारी गुण होते हैं जो न केवल आपको फिट रखते हैं, कई गंभीर रोगों से भी बचाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें प्रोबायोटिक्स या लाइव ऐक्टिव कल्चर्स पाया जाता है, जो आंतों की समस्या और इन्फेक्शन को दूर रखने में मदद करता है। शोध से यह साबित हो चुका है कि देशी गाय के दूध से बना दही रोजाना 80-100 ग्राम दही खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। 💛ओट्स और बार्ली इनमें बीटा ग्लुकैन होता है, जो एक प्रकार का फाइबर होता है। इसके अलावा इसमें एंटीमाइक्रोबियल...

Ayurvedic knowledge / आयुर्वेदिक ज्ञान health tips

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Benefits of Calabash/लौकी:- आपको बता दें कि लौकी में विटामिन बी, विटामिन सी, आयरन और सोडियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. लौकी में आयरन की मात्रा भरपूर पाई जाती है. जो हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा कर सकती है. लौकी को डाइट में शामिल कर हम आसानी से वजन को कंट्रोल कर सकते हैं "Bottle Gourd Benefits and Side Effects Nutrient Rich: Bottle gourd, commonly known as calabash or Lauki, contains important minerals. It contains vitamins C, B, and K, as well as minerals like calcium, magnesium, iron, and zinc" 💚लौकी में पानी 96.1%; कार्बोहाइड्रेट 2.5%; प्रोटीन 0.2%; वसा 0.1%, रेशा 0.6%; होता है, सोडियम 1.8; मैग्नीशियम 5.0, पोटेशियम 87.0; कैल्शियम 20.2; ताँबा 0.3, लोहा 0.7; फॉस्फोरस 10, गंधक 10; विटामिन बी 1 0.03; विटामिन बी-5 0.2; विटामिन सी 6.0-ये प्रति 100 ग्राम में , मि.ग्रा. की मात्रा में पाये जाते हैं। तथा 100 ग्राम लौकी से 12 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। 💛पानी को कमी (De-hydration)- उल्टी, दस्त, त...

Ayurvedic solutions by papaya / ayurvadic knowledge health tips

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        Ayurvedic solutions by papaya  पपीता:- 💚आवंला के बाद अकेला फल जिसमे सभी विटामिन, कैल्शियम पाए जाते है 💚फरवरी से मार्च तथा मई से अक्तूबर के बीच का समय पपीते की ऋतु मानी जाती है। कच्चे पपीते में विटामिन ‘ए’ तथा पके पपीते में विटामिन ‘सी’ की मात्रा भरपूर पायी जाती है। 💜पपीते में कैल्शियम, फास्फोरस,लौह तत्व, विटामिन- ए, बी,सी, डी प्रोटीन, कार्बोज, खनिज आदि अनेक तत्व एक साथ हो जाते हैं। पपीते का बीमारी के अनुसार प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता है। 💛पपीते में ‘कारपेन या कार्पेइन’ नामक एक क्षारीय तत्व होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है। इसी कारण उच्च रक्तचाप के रोगी को एक पपीता (कच्चा) नियमित रूप से खाते रहना चाहिए। 💛खूनी बवासीर हो या बादी (सूखा) बवासीर। बवासीर के रोगियों को प्रतिदिन एक पका पपीता खाते रहना चाहिए। बवासीर के मस्सों पर कच्चे पपीते के दूध को लगाते रहने से काफी फायदा होता है। 💛पपीता यकृत तथा लिवर को पुष्ट करके उसे बल प्रदान करता है। पीलिया रोग में जबकि यकृत अत्यन्त कमजोर हो जाता है, पपीते का सेवन बहुत लाभदायक होता है। पीलिया के रोगी को प...

Knowledge of Ayurveda

                Knowledge of Ayurveda   💚 कान का दर्द – हींग को तिल के तेल में पकाकर उस तेल को छानकर इस तेल की बूंदें कान में डालने से कान दर्द से राहत मिलती है। 💚 शक्ति शारीरिक शक्ति बढ़ाने या कमजोरी दूर करने के लिए भुनी हींग, पीपर, सोंठ तथा कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। प्रतिदिन सुबह-शाम चौथाई चम्मच चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करें। 💚 मासिक धर्म मासिक धर्म की समस्याओ में हींग का सेवन करने से स्त्रियों के गर्भाशय का संकुचन होता है और मासिक धर्म खुलकर आता है। इसके अतिरिक्त इससे स्त्रियों का पेट दर्द भी दूर होता है। 💚 प्रसूता स्त्री का सिर चकराना – घी में सेंकी हुई हींग देशी घी/गाय का घी के साथ सेवन करने से प्रसूता स्त्री को आने वाले चक्कर (सिर चकराना) और दर्द (लेबरपेन्स) मिटते हैं। 💚 विषैले दंश :- बिच्छू, ततैया, मधु मक्खी आदि के काटने पर काटे गए अंग पर लगाने से दर्द और सूजन दूर होते हैं। 💚 मलेरिया से सुरक्षा – जिन जगहों पर मलेरिया फैला हो वहां भोजन के साथ हींग का सेवन करने से आंतों को लाभ होता है तथा मलेरिया से भी सुरक्षा होती...

Home Remedies for Arthritis / गठिया के घरेलू उपचार

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•गठिया के घरेलू उपचार •Arthritis is a general term for any disorder that causes inflammation or degeneration in the joints. •Symptoms include: pain, stiffness, redness, warmth, swelling, and decreased range of motion आज कल हमारी दिनचर्या हमारे खान -पान से गठिया का रोग 45 -50 वर्ष के बाद बहुत से लोगो में पाया जा रहा है । गठिया में हमारे शरीर के जोडों में दर्द होता है, गठिया के पीछे यूरिक एसीड की बड़ी भूमिका रहती है। इसमें हमारे शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। यूरिक एसीड के कण घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं। जोडों में दर्द से रोगी का बुरा हाल रहता है। इस रोग में रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। इसकी पहचान होने पर इसका जल्दी ही इलाज करना चाहिए अन्यथा जोडों को बड़ा नुकसान हो सकता है।हम यहाँ पर गठिया के अचूक घरेलू उपाय बता रहे है....... *दो बडे चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पावडर सुबह और शाम एक गिलास मामूली गर्म जल से लें। एक शोध में कहा है कि चिकित्सकों ने नाश्ते से पूर्व एक बडा चम्मच शहद और आधा छोटा चम्मच दालचीनी के पावडर का मिश्रण ग...